Chaitra Amavasya 2023: Dates, Time, Rituals & Significance


Chaitra Amavasya 2023 falls on March 21. Chaitra Amavasya tithi is starting from 1:47 AM, March 21 and end at 10:52 PM, March 21.

चैत्र महीने में पड़ने वाली अमावस्या को चैत्र अमावस्या कहा जाता है। चैत्र अमावस्या  के दिन पितरों का तर्पण, पित्र दोष के उपाय तथा दान पुण्य किया जाता है। कहते हैं कि चैत्र अमावस्या की कथा सुनने से ही  पित्र ऋण से मुक्ति मिल जाती है एवं 100 कुंभ स्नान का फल मिल जाता है। चैत्र अमावस्या हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखती है।

Chaitra Amavasya (चैत्र अमावस्या) का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र अमावस्या के दिन व्रत रखने से चंद्र देव की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन चंद्र देव की पूजा अर्चना करने से सौभाग्यशाली जीवन प्राप्त होता है तथा खुशहाली प्राप्त होती है। 

इस दिन पित्र संबंधित कार्य करने से पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है तथा मानसिक शांति भी मिलती है। इसलिए चैत्र अमावस्या का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। इसी दिन शिव पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए शिव पार्वती की पूजा अर्चना भी की जाती है।

Chaitra Amavasya Katha (चैत्र अमावस्या की कथा)

एक नगरी में एक राजा रहता था, उसकी प्रजा तथा उसका परिवार बहुत ही खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहा था। राजा की पत्नी बहुत ही धार्मिक विचारों वाली थी और अपनी प्रजा को देखकर बहुत खुश थी। राजा के महल के सामने एक साहूकार की हवेली थी। रानी तथा साहूकार की पत्नी  सहेलियों की तरह एक दूसरे से बातें करती रहती थी।

एक दिन साहूकार की हवेली से साहूकार की पत्नी की रोने की आवाज आई। रोने की आवाज सुनकर रानी ने राजा से इसका कारण पूछा तो राजा ने बताया कि साहूकार के पुत्र की मृत्यु हो गई है जिस वजह से साहूकार की पत्नी दुखी है और दुख के कारण रो रही है। इस बात को सुनने के बाद रानी ने कहा कि आखिर दुख क्या है वह क्यों रो रही है।

यह बात सुनने के बाद राजा को समझ नहीं आ रहा था कि वह रानी को किस तरह समझाए  कि दुख क्या होता है।

राजा ने रानी को कहा कि जिस दिन तुम्हारे पुत्र की मृत्यु होगी, उस दिन तुम्हें पता चल जाएगा कि दुख क्या होता है। राजा ने कहा कि तुम अपने पुत्र को मार दो तभी तुम्हें दुख के बारे में पता चलेगा। यह बात सुनने के बाद रानी ने अपने पुत्र को महल से नीचे गिरा दिया। भगवान की कृपा से रानी का पुत्र किसी ढेर पर गिर गया और उससे कुछ नहीं हुआ।

पुत्र को देखने के बाद रानी ने फिर से वही प्रश्न राजा से पूछा। तब राजा ने कहा कि पड़ोसी राज्य से युद्ध हो रहा है, मैं उस युद्ध में अकेला जाऊंगा और जब मेरी मृत्यु की खबर तुम तक पहुंचेगी तो तुम्हें एहसास हो जाएगा कि दुख क्या होता है। राजा युद्ध के लिए चला गया, परंतु  भगवान की कृपा से वह जीत गया। राजा घर पर वापस आ गया और वह सोचने लगा कि आखिर ऐसी क्या बात है कि वह रानी को दुख का एहसास नहीं करवा पा रहा।

इसके बाद राजा ने रानी को बुलाकर कहा कि वह दोनों गंगा यात्रा के लिए जाएंगे इसलिए रानी तैयार हो जाए, और गंगा किनारे जाकर वह गंगा में कूद जाएगा। रानी ने गंगा यात्रा की तैयारी शुरू कर ली। दूसरी तरफ कैलाश में भगवान शिव ने सती को कहा कि मैं कलयुग में तुम्हें सुख आत्मा के दर्शन करवा दूंगा, यह कहने के बाद भगवान शिव जी ने बकरे का तथा माता पार्वती ने बकरी का रूप धारण कर लिया। इसके बाद वह नदी किनारे घास चरने लगे।

वहीं पर राजा अपनी रानी के साथ आ गया। राजा तथा रानी ने वहां भोजन किया और विश्राम करने लगे। उस समय राजा पानी लेने चला गया। वहीं पर  माता पार्वती ने शिवजी से कहा की रानी दुख देखना चाहती है और भगवान से पूछने लगी के रानी को दुख का एहसास क्यों नहीं हो रहा है। रानी ने पशुओं को मनुष्य की बोली बोलते हुए सुन लिया।

उसने सुना कि भगवान शिव माता पार्वती से कह रहे थे कि रानी ने अमावस का व्रत किया था, जिस कारण उसको दुख नहीं भोगना पड़ रहा। पिछले जन्म में रानी ने अमावस का व्रत किया और इस जन्म में वह अब सुख भोग रही है।  इसके बाद उन्होंने कहा कि यह राजा गंगा में भी नहीं मरेगा।

रानी ने यह बातें सुनने के बाद राजा को सारी बातें बता दी। इसके बाद राजा रानी महल में वापस आ गए। राजा ने अपनी प्रजा को भी अमावस के व्रत करने की आज्ञा दी और कहा कि जो भी मनुष्य Amavasya का व्रत करेंगे, उन्हें हमेशा सुख समृद्धि हासिल होगी।

Chaitra Amavasya Puja Vidhi (चैत्र अमावस्या पूजा विधि)

  • चैत्र अमावस्या के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान किया जाता है।
  • स्नान करने के बादव्रत का संकल्प करते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है।
  • अर्ध्य देते समय सूर्य देव के मंत्रों का जाप भी किया जाता है, यह करने के पीछे मान्यता यह है कि इस तरह करने से पितरों को प्रसन्नता प्राप्त होती है और सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है।
  • चैत्र अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है, क्योंकि यह मान्यता है कि पीपल के पेड़ में देवी देवताओं का वास होता है तथा पीपल लगाना शुभ कार्य में गिना जाता है।
  • महिलाएं पीपल के पेड़ में दूध, जल, फूल तथा चंदन से पूजाकरती हैं।
  • इसके बाद पीपल के पेड़ में 108 बार धागा3 लपेट करपति व संतान की लंबी आयु की इच्छा करते हुए पेड़ की परिक्रमा की जाती है।
  • चैत्र अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ के साथ-साथ तुलसी जी की पूजा भी की जाती है।
  • इस दिन शिवलिंग की पूजा की जाती है और पूजा में पवित्र और धुले हुए वस्त्र पहने जाते हैं।
  • शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है और पूरी श्रद्धा से महादेव की पूजा की जाती है।
  • पूजा करने के बाद उनकी आरती उतारी जाती है।
  • चैत्र अमावस्या के दिन भूखे लोगों को भोजन कराया जाता है तथा गरीब लोगों को दान पुण्य किया जाता है।
  • इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं।

चैत्र अमावस्या के दिन ध्यान रखने योग्य बातें

जैसे कि इस दिन कुछ कार्य करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है उसी तरह कुछ कार्य ऐसे भी हैं, जिन्हें इस दिन वर्जित किया गया है और यदि कोई ऐसे अशुभ तथा वर्जित कार्य करता है तो उसको शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती। इन वर्जित कार्यों का वर्णन निम्नलिखित प्रकार है:

  • चैत्र अमावस्या के दिन श्मशान घाट पर नहीं जाना चाहिए क्योंकि इससे नकारात्मक शक्तियां जागृत हो जाती हैं और उस व्यक्ति के मन मस्तिष्क को हानि पहुंचाती हैं।
  • इस दिन जल्दी उठना चाहिए, देर तक सोना अशुभ माना जाता है।
  • पीपल की पूजा करते वक्त पीपल को छूने से मना किया गया है क्योंकिधार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनिवार के अलावा किसी भी दिन पीपल को छूना अशुभ माना जाता है।
  • इस दिन मांसाहारी खाना नहीं खाना चाहिए बल्कि इस दिन शाकाहारी भोजन का ही सेवन करना चाहिए।
  • इसके अतिरिक्त इस दिन बाल काटना, दाढ़ी बनाना तथा नाखून काटना भी वर्जित किया गया है।

चैत्र अमावस्या तिथि (Chaitra Amavasya Date 2023)

चैत्र अमावस्या 21 March के दिन होगी।

Frequently Asked Questions

When is Chaitra Amavasya 2023?

21st of March

When will Amavasya tithi start?

1:47 AM, March 21

When will amavasya tithi end?

10:52 PM, March 21


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