Margashirsha Amavasya 2024: Date and Time, मार्गशीर्ष अमावस्या की व्रत और पूजा विधि,

मार्गशीर्ष अमावस्या अगहन महीने में होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अगहन के महीने में भगवान श्री कृष्ण जी ने गीता का ज्ञान दिया था। इस कारण अगहन महीने की Amavasya tithi को अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। यह अमावस्या पुण्य फलदाई मानी जाती है।

Margashirsha Amavasya 2024 Date

AmavasyaMargashirsha Amavasya
DateDecember 12, 2024
DayThursday

Margashirsha Amavasya Importance

मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि को पितरों का नियमित रूप से श्राद्ध किया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन पूजा और व्रत रखने से पितर प्रसन्न होते हैं। मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन व्रत करने से कुंडली का दोष दूर हो जाता है। इस  दिन गंगा में स्नान  किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि सतयुग में देवताओं ने मार्गशीर्ष महीने की पहली तिथि को ही वर्ष का आरंभ किया था। 

विष्णु पुराण के अनुसार मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत पूरी श्रद्धा से किया जाता है। ऐसा करने से ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, पशु, पक्षी और सभी भूत प्राणी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं। जिन व्यक्तियों की कुंडली में संतान का योग नहीं बनता है। वह लोगों मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत करके संतान प्राप्ति कर सकते हैं ।

मार्गशीर्ष अमावस्या पर स्नान का महत्व 

मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन नदियों स्नान का विशेष महत्व माना जाता है। महाभारत में भीष्म ने मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने वाला व्यक्ति हर रोज सुखी और समृद्ध होता है। इस दिन स्नान करने से व्यक्ति पूरी तरह स्वस्थ रहता है और दुखों से मुक्त भी होता है। मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन स्नान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

मार्गशीर्ष अमावस्या कथा

मार्गशीर्ष अमावस्या की बहुत सारी कथाएं प्रचलित है। इसमें से एक गरीब ब्राह्मण परिवार की कथा है। ब्राह्मण की एक पुत्री थी जोकि बहुत ही गुणवान और सर्वगुण संपन्न थी। जब ब्राह्मण की पुत्री विवाह योग्य हो गई। तो ब्राह्मण ने अपनी पुत्री के लिए वर खोजना शुरू कर दिया। ताकि ब्राह्मण की पुत्री को योग्य वर मिले। परंतु गरीबी के कारण  विवाह की बात नहीं बन पाती थी।

एक दिन ब्राह्मण के घर साधु आए। वह ब्राह्मण की पुत्री का सेवा भाव देखकर बहुत प्रसन्न हुए। साधुओं ने रावण की पुत्री को दीर्घायु होने का आशीर्वाद दिया। ब्राह्मण के पूछने पर साधु ने कन्या के हाथ में शादी की रेखा ना होने की बात बताई। ब्राह्मण ने साधुओं से इसका उपाय पूछा। साधु ने बताया कि पड़ोस के गांव में सोना नामक धोबन का परिवार रहता है। कन्या यदि धोबन के परिवार की सेवा करके धोबन से उसका सिंदूर मांग ले तो कन्या का विवाह संभव हो सकता है। साधु देवता की बात सुनकर कन्या ने धोबिन की सेवा करने का प्रण मन में ही कर लिया। अगले दिन से ब्राह्मण की पुत्री रोज सुबह उठकर धोबन के घर का सारा काम कर आती थी। एक धोबन ने अपनी बहू से कहा कि तू कितनी अच्छी है, कि घर का सारा काम कर लेती है। तब बहू ने धोबन से कहा कि वह तो सोती रहती है। इस पर दोनों बहुत हैरान हुई के घर का सारा काम कौन कर जाता है। अगले दिन सुबह दोनों प्रतीक्षा करने लगी। तभी दोनों ने देखा एक कन्या आती है और धोबिन के घर का सारा काम करने लग जाती है।  तब धोबिन ने कन्या से इसका कारण पूछा तो कन्या सोना धोबिन के पैरों में गिर पड़ी। कन्या ने सोना धोबिन को अपना सारा दुख सुनाया। कन्या की बात सुनकर धोबिन उसको अपना सिंदूर देने  के लिए तैयार हो गई।

अगले दिन मार्गशीर्ष अमावस्या का दिन था। धोबिन को पता था कि सिंदूर देने से उसके पति की मृत्यु हो जाएगी।  लेकिन सोना धोबी ने इसकी परवाह नहीं की और व्रत करके कन्या के घर चली गई। सोना धोबिन ने अपना सिंदूर कन्या की मांग में लगा दिया ऐसा करने से सोना धोबिन के पति का देहांत हो गया।  वापस लौटते समय सोना धोबिन ने रास्ते में पीपल के वृक्ष की पूजा की और 108 बार परिक्रमा  किया। जब सोना धोबिन घर पहुंची तो उसने देखा कि उसका पति जीवित है। सोना धोबिन ने भगवान का धन्यवाद किया। तब से यह मान्यता है कि मार्गशीर्ष अमावस्या  को पीपल के पेड़ की पूजा करने से सुहाग की उम्र लंबी होती है।

Margashirsha Amavasya Vrat and Puja Vidhi

  • मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन यमुना नदी में स्नान करना पुण्य फलदाई माना जाता है ।
  • इसदिन सत्यनारायण भगवान की  पूजा की जाती है।
  • मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन सत्यनारायण भगवान की कथा सुनाई जाती है।
  • मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन स्नान के बाद दान दक्षिणा दी जाती है।
  • मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है।
  • इसदिन पीपल के पेड़ की जड़ में लक्ष्मी नारायण की स्थापना की जाती है और दूध और जल अर्पित किया जाता है।
  • फिर पीपल की जड़ को सूत में लपेटा जाता है।
  • इस दिन भगवान कोफूल और अक्षत अर्पित करके चंदन लगाया जाता  है।
  • मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की 108 बार परिक्रमा की जाती है।

मार्गशीर्ष अमावस्या पर किए जाने वाले उपाय

  • मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन व्रत किया जाता है ।
  •  इस दिन सूर्य उगने से पहले उठकर स्नान किया जाता है ।
  • मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन के पितरों लिए पूजा और दान करना चाहिए।
  •  इस दिन तुलसी की पूजा करने से सुख सौभाग्य प्राप्त होता है।
  •  मार्च महीने में मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन शंख की पूजा करने से उत्तम लाभ प्राप्त होता है।
  •  मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन नकारात्मकता से बचने के लिए हनुमान मंदिर जाना चाहिए।
  •  मन और शरीर की पवित्रता बनाए रखनी चाहिए।
  •  मार्गशीर्ष अमावस्या के लोगों को भोजन कराना फलदाई होता है।

मार्गशीर्ष की अमावस्या के दिन ध्यान देने योग्य बातें

  • मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन श्मशान घाट पर नहीं जाना चाहिए क्योंकि बुरी शक्तियां जागृत होती हैं।
  •  मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन देर तक नहीं सोना चाहिए।
  •    इस दिन दंपतियों को संयम और ब्रम्हचर्य का पालन करना चाहिए।
  •  मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ को शनिवार के इलावा किसी भी दिन नहीं छूना चाहिए।
  •  इस दिन मांसाहारी खान का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  •   इस दिन बाल नहीं काटने चाहिए।
  • मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन दाढ़ी बनाने या नाखून काटने की भी मनाही होती है ।

Margashirsha Amavasya 2024 Date

मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि 1 December 2024 को होगी।

मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि November 30, 10:29 AM पर शुरू होगी।

मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि December 1, 11:50 AM पर खत्म होगी।

Frequently Asked Questions

When is Margashirsha Amavasya 2024?

Margashirsha Amavasya 2024 will be observed on 1st December 2024.

When does Margashirsha amavasya tithi start?

It starts at 10:29 AM, November 30.

When does Margashirsha amavasya tithi end?

It ends at 11:50 AM, December 1.

Leave a Comment