Jyeshtha Amavasya 2023 (Shani Jayanti): ज्येष्ठ अमावस्या पूजा विधि, तिथि

सनातन धर्म में Amavasya का विशेष महत्व बताया जाता है। इस दिन शनि देव का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को शनि जयंती के नाम से जाना जाता है। इसी दिन वट सावित्री व्रत भी होता है।

जेयष्ठ अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है। इस दिन दान का विशेष महत्व होता है। इसके साथ ही अमावस्या के दिन पितरों की तृप्ति के लिए पिंड दान किया जाता है।

जेयष्ठ अमावस्या की महत्वता

जेयष्ठ अमावस्या जेठ महीने में होती है। जेयष्ठ अमावस्या को शनि जयंती के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन शनि देव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए तन मन से शुद्धता बनाए रखनी चाहिए। इस दिन सच्चे मन से शनिदेव की पूजा की जाती है। इस दिन तीर्थ स्थानों पर स्नान करना एवं दान करना शुभ तथा फलदायी माना जाता है।

इस दिन व्रत और पूजा पाठ करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती है। सभी तरह के पाप और अन्य दोष दूर होते हैं। ऐसे करने के साथ-साथ कई पुण्य भी मिलते हैं।

जेयष्ठ अमावस्या के मौके पर भगवान शिव पार्वती विष्णु जी और वट वृक्ष की पूजा की जाती है। इसी कारणों की वजह से जिस महीने की अमावस्या को पुराणों में बहुत ही खास बताया गया है।

जेयष्ठ अमावस्या पर स्नान की महत्वता

जेयष्ठ अमावस्या के मौके पर पवित्र नदियों में स्नान करने का बहुत महत्व है। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। तीर्थ स्थान के बाद सूरज को अर्घ देकर पितरों की शांति के लिए तर्पण किया जाता है।

इसके बाद ब्राह्मण भोजन और जल दान का संकल्प लेते हैं। इसे देने से दान करने से परिवार में समृद्धि आती है। इस दिन स्नान करने से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है। ऐसा करने से मानसिक बल मिलता है। साथ ही विचारों में भी शुद्धता आती है।

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जयेष्ठ अमावस्या की कथा ( Jyeshtha Amavasya Katha)

एक पौराणिक कथा के अनुसार जब महर्षि दधीचि जी की मृत्यु के बाद पिंडदान किया जा रहा था, तो उस समय उनकी विधवा उनका वियोग न सहन करते हुए अपने 3 साल के बालक को पीपल के पेड़ के पास छोड़ कर खुद सती हो गयी। पीपल के पेड़ के पास बालक भूख प्यास से रोने लगा। पीपल के पेड़ से गिरे फल को उस ने खा लिया और उस फल को खाते हुए वह बड़ा होने लगा। एक दिन महर्षि नारद मुनि वहां से गुजरे और उन्होंने ने बालक से उसका परिचय पुछा।

बालक ने कहा कि उसे भी नहीं पता कि वह खुद नहीं जानता कि वह कौन है। नारद मुनि ने बालक को ध्यान से देखा और बताया कि वह महृषि ददिची का पुत्र है एवं उन्ही की अस्थियों का वज्र बना कर ही देवताओं ने असुरों पर जीत हासिल की। उन्होंने बताया कि उसके पिता की मौत 30 साल की उम्र में ही हो गयी थी। बालक ने अकाल मृत्यु का कारण पुछा तो नारद मुनि ने बताया कि बालक के पिता पर शनि देव की महा दशा थी। इतना कहने के बाद नारद मुनि ने बालक का नाम पिप्लाद रख दिया और उसे शिक्षण देना शुरू किया। बालक ने इसके बाद भ्रह्मा विष्णु के घोर तपस्या की।

ब्रह्मा जी पिप्लाद की तपस्या से खुश हुए और उन्होंने उस से वरदान मांगने के लिए कहा। पिप्लाद ने किसी को भी देखने मात्र से जला देने की शक्ति मांग ली। यह शक्ति प्राप्त हो जाने के बाद पिप्लाद ने शनि देव का आवाहन किया। शनि देव के प्रकट होते ही उसने आंखें खोल कर शनि देव को भस्म करना शुरू कर दिया। शनि देव का शरीर जलने लगा। शनि देव की रक्षा के लिए सभी देवताओं ने प्रयत्न किये, परन्तु कोई फायदा नहीं हुआ।

फिर देवताओं की प्रार्थना पर बह्रमा जी खुद पिप्लाद के सामने आये और शनि देव को छोड़ने के लिए एक के बदले दो वरदान मांगने के लिए कहा। तो पिप्लाद ने 2 वरदान मांगे और कहा कि 5 साल के किसी भी बालक की कुंडली में शनि देव का प्रभाव न रहे एवं कोई भी बालक शनि देव की महा दशा के कारण पिप्लाद की तरह अनाथ न हो, क्यूंकि पिप्लाद की कुंडली में शनि दशा थी, जिस कारण वह अनाथ हो गया था।

दूसरा वरदान यह मांगा कि जो भी व्यक्ति अमावस्या के दिन सूर्य उदय होने से पहले पीपल के पेड़ को अर्घ्य देगा, उस पर शनि देव का कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। पिप्लाद ने वरदान मिलने के बाद शनि देव को छोड़ दिया।

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ज्येष्ठ अमावस्या की व्रत और पूजा विधि (Check Puja Vidhi)

  • ज्येष्ठ अमावस्या के दिन व्रती सुबह जल्दी उठ जाते हैं।
  • जेयष्ठ अमावस्या के दिन सुबह पवित्र नदी पर जल अथवा कुंड में स्नानकिया जाता है। यदि किसी कारण व्रती धार्मिक स्थान पर नहीं जा सकते, तो घर पर भी पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर सकते हैं। ऐसा करने से भी इस व्रत का फल अवश्य मिलता है।
  • इसके बाद तांबे के पात्र में जल लाल चंदन और लाल रंग के फूल डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है।
  • सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद गरीबो में दान दक्षिणाकी जाती है।
  • जेयष्ठ अमावस्या के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रतरखा भी जाता है।

ज्येष्ठ अमावस्या के दिन किये जाने वाले उपाय

  • ज्येष्ठअमावस्या के दिन गाय और कुत्ते को भोजन कराया जाता है।
  • ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पीपल और बरगद केपेड़ की पूजा की जाती है।
  • पितरों के लिए तर्पणकिया जाता है।
  • ज्येष्ठअमावस्या के दिन काले तिल का दान किया जाता है।
  • इस दिन घर में सुख शांति के लिए दीपकजलाया जाता है।
  • अमावस्या के दिन पूरे परिवार को काली उड़द की खिचड़ी बनाकर खाने की भी परम्परा है। कहते हैं कि ऐसे करने से शनिदेव की ग्रह दशा दूर होती है।

ज्येष्ठ अमावस्या के दिन ध्यान रखने वाली बातें

  • जेयष्ठ अमावस्या के दिन मांस और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से शनिदेव नाराज हो सकते हैं।
  • इस दिन किसी भी तरह का उधार नहीं लेना चाहिए।
  • जेष्ठा अमावस्या के दिन नई चीज नहीं खरीदनी चाहिए।
  • इस दिन लोहा आज और सरसों का तेल नहीं खरीदना चाहिए।
  •  इस दिन किसी मांगने वाले को खाली हाथ से घर पर नहीं जाने देना चाहिए।
  •  इस दिन किसी का अपमान नहीं करना चाहिए।
  • ज्येष्ठ अमावस्या के दिन महिलाओं को बाल खुले नहीं रखनी चाहिए। ऐसा करना महिलाओं के लिए जाना जाता है। बाल खुले रखने से महिलाओं के ऊपर नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव हो सकता है। प्राचीन काल में महिलाएं सभी बाल खुले रखती थी जब किसी का शोक मनाया जाता था। ज्येष्ठ अमावस्या के दिन बाल और नाखूनों को नहीं काटा जाता।

जेयष्ठ अमावस्या तिथि ( Jyeshtha Amavasya Date 2023)

जेयष्ठ का अमावस्या तिथि 19 मई, 2023 को Friday के दिन होगी।

FAQs

What is the date of Jyeshtha Amavasya in 2023?

19 May

When will Jyeshtha Amavasya tithi begin?

9:42 PM, May 18

When will Jyeshtha Amavasya tithi end?

9:22 PM, May 19

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