Margashirsha Purnima 2023: मार्गशीर्ष पूर्णिमा जिसे बत्तीसी पूर्णिमा भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि जिस दिन चंद्रमा आकाश में पूरा होता है जिसे Purnima कहा जाता है उस समय बनाई जाती है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा को अगहन पूर्णिमा के नाम से भी कई जगह पर जाना जाता है। इस दिन चंद्रदेव और भगवान शिव जी की पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। कहते हैं कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन जो व्यक्ति सच्चे मन से पूजा करते हैं उस व्यक्ति को इसी जन्म में मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। पौराणिक धारणाओं के अनुसार सतयुग काल की शुरुआत मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन से ही हुई थी।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा को Battisi Purnima इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दिन तुलसी की जड़ की मिट्टी से पवित्र सरोवर में स्नान करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है। स्नान करते समय ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करने से 32 गुना अधिक फल प्राप्त होता है इसीलिए इस पूर्णिमा को बत्तीसी पूर्णिमा का नाम भी दिया जाता है।
Margashirsha Purnima 2023 Date
Purnima | Margashirsha Purnima 2023 |
Also known as | Battisi Purnima 2023 |
Battisi Purnima 2023 Date | December 26, 2023 |
Day | Tuesday |
Margashirsha Purnima 2023 Importance (मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व)
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्रमा को माना जाता है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार इस पूर्णिमा पर सूर्य और चंद्रमा ठीक आमने-सामने होते हैं, जिस वजह से चंद्रमा का प्रभाव मनुष्य पर बहुत अधिक होता है एवं चंद्रमा से ऊर्जा प्राप्त होती है क्योंकि इस समय चंद्रमा सबसे मजबूत स्थिति में होता है।
चंद्रमा से प्राप्त उर्जा से मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन गीता पाठ करने का भी बहुत महत्व है और कहते हैं कि गीता पाठ करने से पितरों को तृप्ति मिलती है।
Margashirsha Purnima Vrat Benefits (मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत के लाभ)
- पूर्णिमा का व्रत करने से जीवन के समस्त भोग ऐश्वर्या सुख संपत्ति प्राप्त होते हैं।
- इस दिन भगवान लक्ष्मी नारायण की कृपा से घर परिवार में धन-धान्य के भंडार में कभी कमी नहीं आती।
- इस खास पर्व पर जोलड़कियां वर की कामना से यह व्रत रखती हैं उनकी मनोकामना भी पूरी होती है।
- इस दिन व्रत करने पर जन्म कुंडली में चंद्र के बुरे प्रभाव वाले व्यक्ति केचंद्रमा के बुरे प्रभाव खत्म हो जाते हैं।
- चंद्र की पीड़ा दूर करने के लिए इस दिन चंद्र यंत्र भी स्थापित किया जाता है, जिससे चंद्रमा से जुड़े सारे दोष खत्म हो जाते हैं।
- मार्गशीर्ष महिना श्री कृष्ण जी का प्रिय महीना है, इसलिए इस दिन श्री कृष्ण की पूजा का भी विशेष महत्व है, इस दिन व्रत रखने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं।
- यह पूर्णिमा माता लक्ष्मी को भी काफी प्रिय है और उनकी पूजा करने से घर में कभी धन की कमी नहीं आतीऔर पूरे जीवन मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
- शास्त्रों के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष में मां लक्ष्मी का आगमन होता है इस दिन सुबह उठकर यदि पीपल के पेड़ पर कुछ मीठा चढ़ाया जाएतो यह भी फलदाई होता है।
- दांपत्य जीवन खुशहाल रहे इसलिए इस पूर्णिमा के दिन पति पत्नी यदि चंद्रमा को अर्घ्य दें तो उन्हें सदा प्रेम बना रहता है।
- पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर 11 कौड़िया चढ़ाकर हल्दी से तिलक किया जाता है और माना जाता है कि ऐसा करने से घर में धन की कभी कमी नहीं होती।
Margashirsha Purnima Vrat Katha (मार्गशीर्ष पूर्णिमा की कथा)
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पुराने समय में एक बार पृथ्वी पर अन्य की कमी हो गई थी, उस समय मां पार्वती (गौरी) ने अन्न की देवी अन्नपूर्णा के रूप में धरती पर अवतार लिया। उन्होंने पूरे पृथ्वी लोक पर उपलब्ध कराकर समस्त मानव जाति की रक्षा की। कहते हैं कि जिस दिन पृथ्वी पर मां अन्नपूर्णा अवतरित हुई, उस दिन मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा थी। यही वजह है कि इस दिन ‘अन्नपूर्णा जयंती’ भी मनाई जाती है। इसी दिन ‘त्रिपुरी भैरवी जयंती’ भी मनाई जाती है और माना जाता है कि इस दिन रसोई, चूल्हे, गैस आदि की पूजा करने से घर में कभी धन की कमी नहीं होती और अन्नपूर्णा देवी की सदा कृपा बनी रहती है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर सत्यनारायण की कथा का विशेष महत्व है। पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण कथा भी पढ़ी और सुनी जाती है। कथा के अनुसार काशीपुरी में एक बहुत ही गरीब ब्राह्मण रहता था। निर्धनता की भूख से व्याकुल होकर इधर-उधर भटकता रहता था। उसकी यह हालत देखकर भगवान विष्णु ने बूढ़े ब्राह्मण के रूप में धरती पर प्रकट होकर उस व्यक्ति को सत्यनारायण व्रत करने की विधि बताई। इसके बाद ब्राह्मण अपने घर लौट आया। सुबह होते ही वह व्रत का संकल्प करके भिक्षा मांगने के लिए चल पड़ा। उस दिन उसे बहुत अधिक भिक्षा मिल गई। शाम के समय घर पहुंच कर उसने बड़ी श्रद्धा से श्री सत्यनारायण भगवान का विधि पूर्वक पूजन किया। भगवान की कृपा से कुछ ही दिनों में वह धनवान हो गया। जितने समय तक वह ब्राह्मण जीवित रहा हर महीने वह सत्यनारायण का पूजन करता रहा।
Margashirsha Purnima 2023 Puja Vidhi (मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजा विधि)
- मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन जो व्यक्ति व्रत करता है और पूजा करता है उस व्यक्ति को सुख की प्राप्ति होती है। इस दिन विष्णु भगवान की पूजा की जाती है और सुबह उठकर भगवान का ध्यान किया जाता है।
- इसके बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है।
- संकल्प लेने के पश्चात स्नान करके साफ कपड़े पहने जाते हैं और ओम नमो नारायण कहकर व्रत का आवाहन किया जाता है।
- जल में तुलसी के पत्ते डालकर जल को सर पर लगा कर प्रणाम किया जाता है।
- इसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है।
- अर्घ्य देने के पश्चात सूर्य देव के मंत्रों का जाप किया जाता है।
- मंत्र जाप करने के पश्चात सफेद वस्तुओं और जल का दान किया जाता है।
- पूजा स्थान पर भगवान के सामने फूल फल आदि चढ़ाए जाते हैं और भगवान की पूजा की जाती है।
- पूजा स्थान पर वेदी बनाकर हवन के लिए उसमें अग्नि जलाई जाती है।
- हवन में तेल घी और बुरा आदि की आहुति दी जाती है।
- हवन खत्म होने के बाद भगवान का ध्यान किया जाता है और रात कोचंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद भगवान की मूर्ति के पास ही सोया जाता है।
- दूसरे दिन स्नान करने के बाद पूजा करने के पश्चात जरूरतमंद व्यक्ति और ब्राह्मण को भोजन कराया जाता है।
- दान दक्षिणा देने के बाद व्रत खोल लिया जाता है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन ध्यान रखने वाली बातें
- इस खास पर्व पर सूर्य को अर्घ्य देना अति आवश्यक माना जाता है।
- पूरे दिन किसी सेबुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए और ना ही किसी को अपशब्द कहने चाहिए।
- इस दिन प्याज लहसुन तथा मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए।
- पूजा के दौरान पूर्वजों को याद करना चाहिए।
- गरीबों को व्रत के बाद दान दक्षिणा अवश्य देनी चाहिए।
- विशेष तौर पर ब्राह्मणों को भोजन भी करवाना चाहिए।
- रात के समय चंद्रमा को जल अवश्य अर्पित करना होता है।
मार्गशीर्ष 2023 पूर्णिमा तिथि
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 26 दिसंबर, 2023 को होगी।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि 26 दिसंबर, 2023 को सुबह 5:46 पर शुरू होगी।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि 27 दिसंबर, 2023 को सुबह 6:02 पर खत्म होगी।
Frequently Asked Questions
Yes, both are same.
Battisi purnima 2023 vrat will be observed on 26th December 2023.
It will start at 5:46AM on 26th December 2023.