Anant Chaturdashi 2023 date is 28th September 2023: अनंत चतुर्दशी का व्रत भादो मास की Shukla Paksha की चतुर्थी को मनाया जाता है; कई जगह पर इस व्रत को अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अनंत सूत्र को बांधने और व्रत रखने से व्यक्ति की कई प्रकार की बाधाओं से मुक्ति हो जाती है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस व्रत को करने से भगवान विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
अनंत चतुर्दशी का पूर्ण लाभ लेने के लिए लोग व्रत के सभी नियमों को बहुत ही ध्यान से और संयम से मानते हुए पूरा करते हैं। कहते हैं कि इस दिन व्रत रखने से घर की नकारात्मक उर्जा, सकारात्मक ऊर्जा में बदल जाती है और घर की खुशहाली का कारण बनती है।
Anant Chaturdashi 2023 Importance (अनंत चतुर्दशी का महत्व)
देशभर में यह पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है और हिंदू पुराणों में तो इसका काफी ज्यादा महत्व है। इसी दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणेश उत्सव का अंत होता है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है। अनंत चौदस का व्रत रखना काफी फलदाई माना जाता है। इस पर्व के अनुसार इस दिन अनंत सूत्र बांधा जाता है, यह अनंत सूत्र कपड़े सुतिया रेशम का बना हुआ होता है।
विधि पूर्वक पूजा करने के बाद यह सूत्र लोग अपने बाजू पर बांध लेते हैं। महिलाएं अपने बाएं हाथ पर जब कि पुरुष अपने दाएं हाथ पर अनंत सूत्र बांधते हैं। अनंत सूत्र बांधते वक्त वह अपने परिवार की दीर्घायु और अनंत जीवन की कामना करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस सूत्र को बांधने से सभी प्रकार की समस्याएं खत्म हो जाती हैं और जीवन में खुशियों का आगमन होता है।
Anant Chaturdashi Katha (अनंत चतुर्दशी से जुड़ी हुई कथा)
पुराणों के अनुसार यह कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है और यह कथा युधिष्ठिर से संबंधित है; कथा के अनुसार पांडवों के राज्य हीन होने के बाद श्री कृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने का सुझाव दिया। इसके बाद पांडवों ने हर हाल में राज्य वापस पाने के लिए व्रत करने के लिए सोचा परंतु उनके मन में कई प्रश्न थे। जिनका उत्तर उन्होंने श्री कृष्ण से पूछा जैसे कि यह अनंत कौन है और इस का व्रत क्यों करना है। उत्तर देते हुए श्री कृष्ण ने कहा कि श्री हरि के स्वरूप को ही अनंत कहा जाता है और यदि उनका व्रत रखा जाए तो ऐसा करने से जिंदगी में आने वाले सारे संकट खत्म हो जाते हैं।
इस पर्व से एक और कथा प्रचलित है; उस कथा के अनुसार सुमंत नाम का एक वशिष्ठ गोत्र ब्राह्मण इसी नगरी में रहता था। उनका विवाह महा ऋषि भृगु की पुत्री दीक्षा से हुआ। इन दोनों की संतान का नाम सुशीला था। दीक्षा की जल्दी ही मृत्यु हो गई इसलिए सुमंत ने कर्कशा नामक कन्या से विवाह कर लिया। उन्होंने अपनी पुत्री का विवाह कौंडिण्य मुनि से करवाया परंतु कर्कशा के क्रोध के चलते सुशीला एकदम साधन हीन हो गई और वह अपने पति के साथ जब एक नदी पर पहुंची तो उसने कुछ महिलाओं को व्रत करते हुए देखा। उसने भी अपनी समस्याओं के निवारण के लिए चतुर्दशी व्रत रखना शुरू किया और इस तरह व्रत रखने के बाद उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो गई।
अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति जी का विसर्जन
अनंत चतुर्दशी के दिन Ganesh Chaturthi का अंत होता है तथा गणेश जी का विसर्जन किया जाता है। इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा है। कथा के अनुसार जिस दिन वेदव्यास जी ने महाभारत लिखने के लिए गणेश जी को महाभारत की कथा सुनानी शुरू की थी उस दिन भाद्र शुक्ल चतुर्दशी थी। कथा सुनाते समय वेदव्यास जी ने आंखें बंद कर ली थी और गणेश जी को लगातार 10 दिनों तक वह कथा सुनाते रहे थे। गणेश जी का काम कथा लिखना था और वह लगातार 10 दिनों तक तथा लिखते रहे। दसवे दिन जब वेदव्यास जी ने आंखें खोली तो उन्होंने देखा कि एक जगह बैठकर लगातार लिखते लिखते गणेश जी के शरीर का तापमान काफी ज्यादा बढ़ गया था। ऐसे में वेदव्यास जी ने गणेश जी को ठंडक प्रदान करने के लिए ठंडे जल में डुबकी लगाई; डुबकी लगाने के लिए वह उन्हें अलकनंदा और सरस्वती नदी के संगम पर ले गए। जिस दिन उन्होंने गणेश जी को डुबकी लगवाई उस दिन अनंत चतुर्दशी का दिन था। यही वजह है कि अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश चतुर्थी का अंत होता है और इस दिन गणेश जी का विसर्जन किया जाता है।
तांत्रिक विषयों पर आधारित ग्रंथों के अनुसार गणेश जी की स्थापना मनोकामना अनुसार करनी होती है और 10 दिनों तक लगातार साधना करने के बाद उनका विसर्जन किया जाए तो इससे मनवांछित फल प्राप्त होते हैं।
अनंत चतुर्दशी की पूजा विधि (Anant Chaturdashi 2023 Puja Vidhi)
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान किया जाता है।
- स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप जलाए जाते हैं।
- इसके बाद देवी देवताओं का गंगाजल से अभिषेक किया जाता है।
- कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं।
- गणेश पूजा में सबसे पहले गणेश जी का प्रतीक चिन्हस्वास्तिक बनाने के बाद पहले गणेश जी की पूजा की जाती है और इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
- भगवान गणेश को सिंदूर लगाया जाता है और मान्यताओं के अनुसार दूर्वा घास चढ़ाई जाती है।
- भगवान विष्णु को फूल और तुलसी अर्पित किए जाते हैं।
- इसके बाद गणेश जी और भगवान विष्णु को भोग लगाया जाता है तथा गणेश जी को लड्डू का भोग लगाया जाता है।
- इस दिन इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाया जाए और भगवान विष्णु के भोग में तुलसी जी को अवश्य शामिल किया जाता है; मान्यता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं सकते।
- इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी जी की भी पूजा अर्चना की जाती है।
- पूजा सामग्री के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा, लालकपड़ा, दर्वा, जनेऊ, कलश, नारियल, पंचामृत, पंचमेवा गंगाजल, रोली, मौली लाल, श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति, पुष्प, नारियल, सुपारी, फल, लॉन्ग, धूप, दीप, देसी घी, अक्षत, तुलसी दल, चंदन, मिष्ठान का इस्तेमाल पूजा के दौरान किया जाता है।
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अनंत चतुर्दशी तिथि 2023 (Anant Chaturdashi 2023 Date)
- अनंत चतुर्दशी 28 September 2023 को गुरूवार के दिन होगी।
- अनंत चतुर्दशी का पूजा मुहूर्त 28 सितंबर, 2023 को शाम 6:12AM पर शुरू होगा और को शाम 6:49 पर यह मुहूर्त खत्म होगा।
FAQs
We worship Lord vishnu on this day.
September 28, 2023
The chaturdashi tithi will start at 10:18PM on September 27 and end at 6:49PM on September 28.
No
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