Bhadrapada Purnima 2024 (Uma Maheshwara Vrat): Date, Tithi, Vrat Katha, Vrat Vidhi

Bhadrapada Purnima 2024 is all set to be observed on September 17, 2024, Tuesday. The purnima tithi commences from 11:44 AM, September 17.

भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की Purnima tithi को भाद्रपद पूर्णिमा कहते हैं। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन उमा माहेश्वर व्रत किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से बहुत लाभ होता है। इस दिन व्रत करने से लोगों के कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख समृद्धि आती है। इससे तिथि से पितृ पक्ष यानि श्राद्ध पक्ष शुरू हो जाते हैं जो अश्विन अमावस्या पर समाप्त होते हैं।

इस दिन पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करने का महत्व है। इस दिन दान पुण्य के काम करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना से भी बहुत लाभ होता है। गुजरात में ये दिवस बहुत लोकप्रिय है और बहुत ही श्रद्धा से मनाया जाता है।

Bhadrapada Purnima 2024 Date

EventBhadrapada Purnima
DateSeptember 17, 2024
DayTuesday

Bhadrapada Purnima का महत्व

इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से व्यक्ति को धन-धान्य की कमी नहीं रहती है। जो लोग पूर्णिमा के दिन व्रत करते हैं, उनके घर में सब प्रकार से सुख समृद्धि का का वास होता है और सारे कष्ट दूर होते हैं।

यह दिन गृह प्रवेश के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। भाद्रपद पूर्णिमा के दिन को इसलिए भी खास माना गया है क्योंकि इस दिन से श्राद्ध पक्ष प्रारंभ होता है और सोलह दिनों तक पितरों से आशीर्वाद प्राप्त करने का दिन होते हैं।

भाद्रपद पूर्णिमा / उमा महेश्वर व्रत कथा 

इस व्रत का उल्लेख पुरानी कथाओं में मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार महा ऋषि दुर्वासा भगवान के दर्शन करके लौट रहे थे। रास्ते में उनकी मुलाकात भगवान विष्णु से हुई। महा ऋषि ने शंकर के द्वारा दी गई विल्व पत्र की माला भगवान विष्णु को दे दी। भगवान विष्णु ने खुद उस माला को न पहन कर गुरुड़ के गले में डाल दी। इससे महा ऋषि क्रोधित होकर बोले कि उन्होंने भगवान शंकर का अपमान किया है। इससे उनकी लक्ष्मी चली जाएगी।  क्षीर सागर से भी उसे हाथ धोना पड़ेगा और शेषनाग भी उनकी सहायता नहीं कर सकेंगे।

यह सुनकर भगवान विष्णु ने दुर्वासा ऋषि से क्षमा याचना की और उनसे कहा कि उनकी और भगवान शंकर का अपमान करने की जरा सी भी मंशा नहीं थी। उसने तो सिर्फ गुरुड़ के गले में यह माला उसके प्रिय होने के कारण डाली थी। फिर भगवान विष्णु ने महा ऋषि दुर्वासा को प्रणाम कर इससे मुक्त होने का उपाय पूछा।

इसके बाद दुर्वासा ऋषि ने अपना क्रोध त्याग कर भगवान विष्णु को उमा महेश्वर व्रत करने को कहा और कहा कि अगर वह पूरे नियम से यह व्रत करेंगे तो ही उसे उसकी संपन्नता प्राप्त होगी। जिसके बाद भगवान विष्णु ने यह व्रत किया और दोबारा से अपनी संपन्नता प्राप्त की।

Bhadrapada Purnima व्रत पूजा विधि

भाद्रपद पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है:

  •  भाद्रपद पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प लिया जाता है और किसी पवित्र नदी में स्नान किया जाता है।
  •  इसके बाद विधिवत तरीके से भगवान Satyanarayan की पूजा की जाती है और उन्हें फल- फूल अर्पित किए जाते हैं।
  •  पूजन के बाद भगवान की कथा सुनी जाती है और फिर भगवान सत्यनारायण को मिठाई और फल भी चढ़ाए जाते हैं।
  •  इस दिन केवल दूध से बने उत्पादों और फलों का सेवन किया जाता और इस दिन व्रत रखने वाले भक्तों के लिए अनाज, दालें और नमक खाना वर्जित होता है।
  •  भाद्रपद पूर्णिमा का दिन ‘महा मृत्युंजय हवन’ करना शुभ माना जाता है और इस दिन हवन करने से भक्तों अपने जीवन से सभी तरह की नकारात्मकता से छुटकारा पाते हैं।
  • इस दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को दान दिया जाता है।

उमा माहेश्वर व्रत विधि

नारद पुराण के अनुसार उमा माहेश्वर व्रत भाद्रपद की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसकी पूजा विधि इस प्रकार है:-

  •  यह व्रत स्त्रियों के लिए बहुत महत्व रखता है। इस व्रत के प्रभाव से बुद्धिमान संतान और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
  •  घर में पूजा स्थल पर शिव पार्वती जी की प्रतिमा को स्थापित और उनका ध्यान किया जाता है।
  •  भगवान शिव और माता पार्वती के रूप का ध्यान करते हुए उन्हें दीप, धूप, फूल, गंध और शुद्ध घी का भोजन अर्पित किया जाता है।

भाद्रपद पूर्णिमा व्रत के लाभ

भाद्रपद पूर्णिमा व्रत करने के अनेक लाभ शास्त्रों में बताए गए हैं। इस दिन विष्णु के स्वरूप भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से जीवन के सारे कष्टों और संकटों से मुक्ति मिलती है। जीवन की सारी आर्थिक परेशानियों का समाधान हो जाता है। जिस विशेष कामना की पूर्ति के लिए यह व्रत किया जाता है  वह जल्द पूरी होती है। अविवाहित कन्याओं और युवकों का विवाह जल्दी हो जाता है। खोया मान सम्मान, पद प्रतिष्ठा वापस मिल जाती है। व्यापारियों को इस दिन सत्यनारायण की पूजा अवश्य करनी चाहिए। सुहागन स्त्रियों को अपने पति की आज्ञा से यह व्रत करना चाहिए, इससे वह अखंड सौभाग्यवती बनती हैं। पुरुषों को अपने परिवार की अच्छी सेहत और संपन्नता के लिए व्रत करना चाहिए।

अम्बा देवी मंदिर में भाद्रपद पूर्णिमा का जश्न

इस दिल लोग अंबा देवी मंदिर में अंबा देवी को प्रसन्न करने के लिए नृत्य करते हैं ताकि भक्त अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें। भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु ने सती देवी को काटा तो उनका दिल जिस जगह पर गिरा, वहां अम्बा देवी मंदिर बन गया।

Bhadrapada Purnima 2024 Date

भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत September 17, 2024 को रखा जाएगा। 

भाद्रपद पूर्णिमा 17 सितंबर, 2024 को 11:44AM बजे शुरू होगी।

भाद्रपद पूर्णिमा 18 सितंबर, 2024 को 8:04AM बजे खत्म होगी।

Frequently Asked Questions

Question 1: When is Bhadrapada Purnima 2024?

Answer: September 17, 2024

Question 2: When does the Bhadrapada purnima tithi start?

Answer: Bhadrapada purnima tithi starts at 11:44AM on 17th September 2024.

Question 3: When does the Bhadrapada purnima tithi end?

Answer: It ends at 8:04AM on 18th September 2024.

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