Kojagara Puja 2023: Vrat Date & Time, Importance, Pooja Vidhi

Kojagara Puja 2023 date is 28th October 2023. कोजागरा पूजा या कोजागिरी पूजा एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है जोकि बिहार, वेस्ट बंगाल, उड़ीसा तथा आसाम में मनाया जाता है। यह यह आश्विन महीने में पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा से संबंधित एक त्योहार है, जिसका हिंदू धर्म में बहुत महत्व है एवं यह हिंदू धर्म के सबसे शुभ दिनों में से एक है। यदि हम अंग्रेजी कैलेंडर की बात करें तो यह पूजा अक्टूबर या सितंबर के महीने में की जाती है।

इस उत्सव को बंगाल लक्ष्मी पूजा एवं कोजागिरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। देवी लक्ष्मी धन, खुशी एवं समृद्धि की देवी माना जाता है, देवी लक्ष्मी से धन और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करने केलिए इस उत्सव को मनाया जाता है। देश के कुछ हिस्सों में इस उत्सव को शरद पूर्णिमा के नाम से भी पुकारा जाता है। वेस्ट बंगाल, उड़ीसा तथा आसाम के अलावा बिहार तथा बुंदेलखंड में भी बहुत बड़े स्तर पर इस उत्सव को मनाया जाता है।

Kojagara Puja 2023 Date and Time

Festival/Vrat

Kojagara Puja 2023

Also known as

Kojagari Puja, बंगाल लक्ष्मी पूजा, कोजागिरी पूर्णिमा

Date

28th October 2023

Day

Saturday

कोजागरा पूजा निशिता समय

28 अक्टूबर रातः 11:39 बजे से 12:31 बजे तक, 29 अक्टूबर

अवधि

51 minutes

कोजागरा पूजा का महत्व

देवी लक्ष्मी से धन खुशी एवं समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए ही इस उत्सव को बहुत बड़े स्तर पर मनाया जाता है। बहुत बड़े स्तर पर पूजा, अनुष्ठान किए जाते हैं और देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। मध्य रात्रि तक जागरण किए जाते हैं तथा माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार आश्विन महीने में जो पूर्णिमा आती है, उस पूर्णिमा को जागरण की रात कहा जाता है और ऐसा भी माना जाता है कि इस रात्रि मां लक्ष्मी स्वयं पृथ्वी पर आती हैं और जो भक्त अनुष्ठानों का पालन करते हैं उन्हें आशीर्वाद भी देती हैं।

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कोजगरा पूजा से जुड़े अन्य तथ्य

  • बिहार के मिथिला क्षेत्र में नवविवाहित जोड़ों के लिए कोजागरा उत्सव और भी ज्यादा महत्व रखता है क्योंकि यहां पर नवविवाहित जोड़ों के लिए कोजागरा पूजा का आवश्यक मानी जाती है।इस दिन दही, धान, पान, सुपारी, मखाना, चांदी से बने कछुए, मछली एवं कौड़ी के साथ वर की पूजा की जाती है। पूजा के बाद चांदी की कौड़ी से वर और कन्या के पक्ष में एक खेल किया जाता है और जो पक्ष इस खेल में जीत जाता है, उसके लिए ऐसा माना जाता है कि वह वर्ष बहुत ही शुभ होगा। इसके पश्चात सगे-संबंधियों और परिचितों के बीच मखाना, पान, लड्डू आद बांटे जाते हैं और एक खास तरह की टोपी भी पहनाई जाती है, जिसे पाग कहा जाता है। मिथिला में पाग को एक सम्मान के रूप में माना जाता है और घर के बड़े बुजुर्गों की तरफ से इस दिन वर को दही लगाकर लंबी उम्र एवं सुखद वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद दिया जाता है। इसके अतिरिक्त लोग मखाना, पैसा तथा बतासे लुटा कर उत्सव का आनंद उठाते हैं। किसी नवविवाहित जोड़े के लिए विवाह के बाद यह उनका दूसरा सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है।
  • कोजागरा व्रतको कौमुदी व्रत भी कहा जाता है। इस दिन श्री कृष्ण जी ने महारास रचाया था और एक मान्यता अनुसार कोजागरा रात्रि को चंद्रमा की किरणों से अमृत भी चढ़ता है, इसीलिए इस दिन उत्तर भारत में खीर बनाकर रात भर चांदनी में रखने की रीत पूरी की जाती है।
  • देवी लक्ष्मी की प्रार्थना करते समय देवी की मूर्ति को पंडाल या फिर घरों में भी स्थापित किया जाता है।
  • कोजागरा पूजा करने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग रीति रिवाज बने हुए हैं।
  • लक्ष्मी पूजा का सारा पालन एक पुजारी के मार्गदर्शन में करना अनिवार्य होता है।
  • नर्केल भाजा, तालर फोल, नारू, खिचड़ी तथा मिठाई आदि पूजा करते समय देवी लक्ष्मी को अर्पित की जाती है।
  • इस उत्सव के समय महिलाएं अपने घर के सामने देवी लक्ष्मी के चरणों का प्रतिनिधित्व करते हुए आकृति बनाती हैं।
  • इस उत्सव के समय ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी सभी घरों में आती है तथा सभी घरों में रहने वाले लोगों को अच्छे भाग्य तथा समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
  • इस उत्सव की रात्रि हैं भक्तगण रात भर जागरण करते हैं तथा देवी मां को खुश करने के लिए मंत्र कीर्तन एवं भजनों का आवाहन करते हैं।
  • लोग अपने घरों में देवी मां का स्वागत करने के लिए मिट्टी के दीपक तथा रोशनी के अन्य प्रबंध करते हैं।
  • कई भक्त इस दिन उपवास भी करते हैं और पूरे दिन भोजन या फिर जल का इस्तेमाल नहीं करते तथा अनुष्ठान पूरा होने के बाद नारियल के पानी एवं साबुत चावल देवी लक्ष्मी को अर्पित करने के पश्चात अपना उपवास तोड़ते हैं।

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कोजागरा व्रत कथा

इसके अतिरिक्त कोजागरा व्रत से जुड़ी एक अन्य कथा भी है, जिसके अनुसार एक साहूकार की दो पुत्रियां थी। दोनों पुत्रियां पूर्णिमा की रात का एक व्रत रखती थी। दोनों कन्याओं में से बड़ी लड़की व्रत पूरा करती थी जबकि छोटी लड़की हर बार व्रत अधूरा ही छोड़ देती थी। इसके परिणामस्वरुप यह हुआ कि जब छोटी पुत्री की संतान पैदा होती, तो वह पैदा होते ही मर जाती थी। उसने कई पंडितों से इसका कारण पूछा तो पंडितों ने यह बताया कि इसकी वजह पूर्णिमा का व्रत अधूरा छोड़ना है। 

इसी कारणवश उसकी संतानें पैदा होते ही मर रही है। इसलिए उसे यह हिदायत दी गई कि वह पूरी विधिअनुसार व्रत पूरा करे ताकि उसकी संतान जीवित रह पाए। सलाह को पूरा करने के लिए उस लड़की ने पूरी विधिअनुसार व्रत पूरा किया, जिसके फलस्वरूप उसके घर एक लड़के का जन्म हुआ। परंतु लड़के की भी कुछ दिनों बाद मृत्यु हो गई। उस लड़की ने अपने पुत्र को एक पीढ़ा पर लेटा कर उसके ऊपर कपड़ा रख दिया। जब बड़ी बहन उस  पीढ़े पर बैठने लगी, तो उसका लहंगा बच्चे को छू गया जिसकी वजह से बच्चा रोने लगा। 

तब बड़ी बहन ने कहा कि तुम मुझ पर कलंक लगाना चाहती हो कि मेरे बैठने से यह मर गया। यह बात सुनने के बाद छोटी बहन बोली कि यह तो बहुत पहले ही मर चुका था परंतु तेरे भाग्य से यह जीवित हो गया है अर्थात यह तेरे पुण्य कर्मों की वजह से ही जीवित हुआ है। इसके पश्चात पूरे नगर में इस व्रत को एक उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा तथा देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

ऐसा माना जाता है कि कोजागरा पूजा के समय जो भक्त पूजा करते हैं, उन्हें देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

कोजागरा व्रत विधि

  • कोजागरा व्रत को पूरा करने के लिए विधिपूर्वक स्नान करके उपवास रखे जाते हैं।धनवान व्यक्ति तांबे या फिर मिट्टी का कलश लेकर उस पर वस्त्र से ढकी हुई स्वर्णमयी लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित करते हैं और भिन्न-भिन्न प्रकार से पूजा अर्चना करते हैं। इसके पश्चात शाम को जब चंद्र उदय हो जाता है, तो उस समय सोने-चांदी/ मिट्टी के घी से भरे हुए 100 दीपक जलाते हैं।
  • इसके पश्चात घी से बनी हुई खीर बहुत सारे पात्रों में डालकर चंद्रमा की चांदनी में रखी जाती है। 6 घंटे बीत जाने पर लक्ष्मी जी को सारी खीर अर्पण की जाती है।इसके पश्चात भक्ति पूर्वक सात्विक ब्राह्मणों को इस प्रसाद रूपी कीर का भोजन करवाया जाता है और उसके साथ ही मांगलिक गीत गाकर मंगलमय कार्यों को पूरा करने के लिए पूरी रात्रि जागरण किया जाता है।
  • इसके बाद अरुणोदय काल में स्नान करके लक्ष्मी जी कीस्वर्णमयी प्रतिमा आचार्य को अर्पित की जाती है। मान्यता अनुसार मध्य रात्रि को देवी लक्ष्मी धरती पर आती है और जो मनुष्य जागरण कर रहे होते है और पूजा अर्चना कर रहे हैं, उनको धन लाभ पहुंचाती हैं।

Kojagara Puja 2023 Date & Time

  • इस बार 2023 में कोजागरा लक्ष्मी पूजा 28 अक्टूबर 2023 को आएगी और दिनांक शनिवार अर्थात 28 अक्टूबर 2023 दिन शनिवार को कोजागरा लक्ष्मी पूजा का उत्सव होगा।
  • कोजागरा पूजा निशिता समय – 28 अक्टूबर रातः 11:39 बजे से 12:31 बजे तक, 29 अक्टूबर
  • अवधि – 51 मिनट
  • कोजागरा पूजा दिवस पर चन्द्रोदय – 5:19PM
  • पूर्णिमा तीथी शुरू होती है – 4:17AM, 28th October 2023
  • पूर्णिमा तीथि समाप्त – 1:53AM, 29th October 2023

FAQs

What is Kojagara puja?

Kojagara puja is a Lakshmi Puja which is mainly observed in Bihar, Orissa, Assam, and West Bengal.

Do Kojagara puja fall on Sharad purnima?

Yes

When will purnima tithi start?

4:17AM, 28th October 2023

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