Rishi Panchami 2023: ऋषि पंचमी व्रत का उद्देश्य, पूजा विधि, व्रत कथा. ऋषि पंचमी के दिन किए जाने वाले अनुष्ठान

ऋषि पंचमी हिंदू धर्म में एक शुभ त्यौहार माना जाता  है। ऐसा माना जाता है कि यह दिन भारत के ऋषियों का सम्मान करने के लिए होता है। ऋषि पंचमी का अवसर मुख्य रूप से सप्तर्षि के रूप में सम्मानित सात महान ऋषियों को समर्पित किया जाता है। पंचमी शब्द पांचवें दिन से संबंधित होता है और ऋषि का प्रतीक माना जाता है। इस प्रकार, ‘ऋषि पंचमी’ का पवित्र दिन को महान भारतीय ऋषियों की यादों के रूप में मनाया जाता है। यह शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन (पंचमी तीथी) की भद्रपद महीने में मनाया जाता है।

आम तौर पर यह त्यौहार गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद मनाया जाता है और हरतालिका तीज के दो दिन बाद मनाया जाता है। यह त्यौहार सप्तर्षि से जुड़ा हुआ है जोकि सात ऋषि हैं जिन्होंने पृथ्वी से बुराई को खत्म करने के लिए अपने जीवन का त्याग किया था और मानव जाति के सुधार के लिए काम किया था। यह महान ऋषि सिद्धांतबद्ध और अत्यधिक धार्मिक माने जाते थे और उन्होंने अपने भक्तों को भलाई और मानवता का मार्ग लेना सिखाया था। हिंदू मान्यताओं और शास्त्रों  के अनुसार संत द्वारा अपने भक्तों को अपने ज्ञान और बुद्धि से शिक्षित किया करते थे, जिससे कि हर कोई दान, मानवता और ज्ञान के मार्ग का पालन कर सके।

मासिक धर्म के दौरान महिलाओं द्वारा अनजाने में की गई भूल की क्षमा याचना के लिए हिंदू धर्म में ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है।

ऋषि पंचमी व्रत करने का उद्देश्य

पंचमी केविन सुबह जल्दी उठकर इस व्रत को विधि विधान से पूजा करने से व्यक्ति का कल्याण होता है। इस दिन सप्त ऋषियों की पांरपरिक पूजा  करने का विधान होता है। इन सात ऋषियों के नाम – ऋषि कश्यप, ऋषि अत्रि, ऋषि भारद्वाज, ऋषि विश्वमित्र, ऋषि गौतम, ऋषि जमदग्नि और ऋषि वशिष्ठ है। इन् ऋषि यों द्वारा समाज कल्याण के लिए काम किया जाता था। इसलिए उनके सम्मान में यह व्रत और पूजन किया जाता हैं।

हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों के अनुसार कोई भी व्यक्ति खासकर महिलाओं द्वारा इस दिन सप्त ऋषियों का पूजन करने से सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं। प्राचीन किवंदति है कि महिलाओं को रजस्वला दोष लगता है। इसलिए कहां जाता हैं कि ऋषि पंचमी व्रत करने से मासिक धर्म के दौरान भोजन को दूषित किए जाने वाले पाप से मुक्ति की प्राप्ति होती है।

Rishi Panchami व्रत विधि

  • भाद्र शुक्ल पंचमी को ऋषि पंचमी कहा जाता हैं। इस व्रत को स्त्री मनुष्य जीवन में किए गए पापों की मुक्ति के लिए किया जाता है।
  • ऋषि पंचमी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को किसी नदी या जलाशय में स्नान करके उसके द्वारा आंगन बेदी बनाई जाती है।
  • इस दिन अनेक रंगों से रंगोली बनाकर उस पर मिट्टी या ताँबे का घट (कलश) स्थापित किया जाता है।
  • कलश को वस्त्र से लपेटकर उसके ऊपर ताँबे या मिट्टी के बर्तन में जौ भरकर रखा जाता है।
  • इसके बाद कलश का फूल, गंध और अक्षत आदि से पूजा की जाती है।
  • इस दिन प्रायः लोग द्वारा दही और साठी का चावल खाया जाता है हैं। इस व्रत के दिन नमक का प्रयोग नहीं जाता है। दिन में केवल एक ही बार भोजन किया जाता है।
  • ऋषि पंचमी व्रत के दिन कलश आदि पूजन सामग्री को ब्राह्मण को दान दिया जाता है।
  • पूजन के बाद ब्राह्मण भोजन कराकर ही खुद प्रसाद लेना चाहिये।

Details about Hindu Calendar

ऋषि पंचमी की व्रत कथा

सत्ययुग में श्येनजित् नामक एक राजा का राज्य था। उस राजा के राज्य में सुमित्र नाम का एक ब्राह्मण रहता था। जोकि वेदों का विद्वान था। सुमित्र खेती करके अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। उसकी पत्नी का नाम जयश्री सती थी, जो कि साध्वी और पतिव्रता थी। वह खेती के कामों में भी अपने पति का सहयोग किया करती थी। एक बार उस ब्राह्मण की पत्नी ने रजस्वला अवस्था में अनजाने में घर का सब काम किया और पति का भी स्पर्श भी कर लिया। दैवयोग से पति-पत्नी का शरीरान्त एक साथ ही हुआ। रजस्वला अवस्था में स्पर्शा का विचार न रखने के कारण स्त्री को कुतिया और पति को बैल की योनि की प्राप्ति हुई। परंतु पहले जन्म में किये गये अनेक धार्मिक कार्य के कारण उनका ज्ञान बना रहा। संयोग से इस जन्म में भी वह साथ-साथ अपने ही घर में अपने पुत्र और पुत्रवधू के साथ रह रहे थे। ब्राह्मण के पुत्र का नाम सुमति था। वह भी पिता की की तरह वेदों में विद्वान था। पितृपक्ष में उसने अपने माता-पिता का श्राद्ध करने के उद्देश्य से पत्नी से खीर बनवायी और ब्राह्मणों को निमंत्रण दिया गया। उधर एक सांप ने आकर खीर को जहरीला कर दिया। कुतिया बनी ब्राह्मणी ने यह सब देख  लिया। उसने सोचा कि यदि इस खीर को ब्राह्मण खायेंगे तो जहर के प्रभाव से मर जायेंगे और सुमति को इसका पाप लगेगा। ऐसा सोच कर उसने सुमति की पत्नी के सामने ही जाकर खीर को छू दिया। इस पर सुमति की पत्नी को बहुत गुस्सा आया और उसने चूल्हे से जलती लकड़ी निकालकर उसकी पिटाई कर दी। उस दिन सुमति की पत्नी ने कुतिया को भोजन भी नहीं दिया। रात में कुतिया ने बैल को सारी घटना बताई। बैल ने कहा कि आज तो मुझे भी कुछ खाने को नहीं दिया गया। जबकि मुझसे दिनभर काम लिया जाता है।  उसने कहा की सुमति ने हम दोनों के ही उद्देश्य से श्राद्ध किया था और हमें ही भूखा रखा हुआ है। इस तरह हम दोनों के भूखे रह जाने से तो इसका श्राद्ध करना ही व्यर्थ हो जाएगा। सुमति  दरवाजे पर लेटा कुतिया और बैल की बातचीत सुन रहा था। वह पशुओं की बोली अच्छी तरह समझता था। उसे यह जानकर बहुत दुःख हुआ कि उसके माता-पिता इन निकृष्ट योनियों में पड़े हैं। वह दौड़ता हुआ एक ऋषि के आश्रम में गया उसने उनसे अपने माता-पिता के पशुयोनि में पड़ने का कारण और मुक्ति का उपाय पूछा। ऋषि ने ध्यान और योगबल से सारा हाल जान लिया। सुमति से कहा कि तुम पति-पत्नी भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पंचमी को ऋषि पंचमी का व्रत करना होगा और उस दिन बैल के जोतने से पैदा हुआ कोई भी अन्न नहीं खाना होगा। इस व्रत के प्रभाव से तुम्हारे माता-पिता की मुक्ति प्राप्त हो जायेगी। यह सुनकर मातृ-पितृ भक्त सुमति द्वारा ऋषि पंचमी का व्रत किया गया जिसके प्रभाव से उसके माता-पिता को पशुयोनि से मुक्ति प्राप्त हो गई।

ऋषि पंचमी पर किए जाने वाले अनुष्ठान

  • ऋषि पंचमी को सभी रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों को अच्छे इरादे और शुद्ध दिल के साथ किया जाना चाहिए।
  • व्यक्तियों के इरादे शरीर और आत्मा के शुद्धिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • भक्त सुबह उठते हैं और उठने के बाद ही पवित्र स्नान किया जाता है।
  • लोगों द्वारा इस दिन एक कठोर ऋषि पंचमी व्रत रखा जाता है।
  • इस व्रत को रखने का मुख्य उद्देश्य एक व्यक्ति को पूरी तरह से पवित्र किया जाना है।
  • व्यक्ति को जड़ी बूटी के साथ दांतों की सफाई करनी चाहिए और डाटावार्न जड़ी बूटी के साथ स्नान करना चाहिए।
  • इन सभी जड़ी बूटियों का मुख्य रूप से शरीर के बाहरी शुद्धिकरण के लिए उपयोग किया जाता है और मक्खन, तुलसी, दूध, और दही का मिश्रण आत्मा की शुद्धिकरण के लिए पिया जाता है।
  • इस दिन, भक्त सात महान संतों के सप्तऋषि की पूजा की जाती है जो सभी अनुष्ठानों के अंतिम पहलू का अंतिम भाग होता है।
  • सभी सात ऋषियों की उपस्थिति का आह्वान करने के लिए, प्रार्थनाओं और कई पवित्र चीजें जैसे फूल और खाद्य उत्पादों का प्रयोग किया जाता है।

Rishi Panchami 2023 Date

  • ऋषि पंचमी तिथि: Wednesday, September 20, 2023
  • ऋषि पंचमी पूजा मुहूर्त: 20th September, 11:01 AM to 01:28 PM
  • ऋषि पंचमी तिथि 19 September 2023 को 1:43 PM बजे प्रारंभ होगी।
  • ऋषि पंचमी तिथि 20 सितंबर 2023 दोपहर 02:16 बजे समाप्त होगी।

FAQs

ऋषि पंचमी क्यों मनाई जाती है?

यह व्रत ज्ञात-अज्ञात पापों के शमन के लिये किया जाता है, इसके अलावा स्त्री-पुरुष दोनों द्वारा इस व्रत को किया जाता हैं। स्त्रियों से रजस्वला अवस्था में जाने-अनजाने घर के पात्र आदि वस्तुओं का प्रायः स्पर्श हो जाता है, इससे होने वाले पाप के मुक्ति के लिये इस व्रत को किया जाता हैं।

ऋषि पंचमी में क्या खाना चाहिये?

इस दिन प्रायः लोग दही और साठी का चावल खाना चाहिए। नमक का प्रयोग करना वर्जित माना जाता है। दिन में केवल एक ही बार भोजन करना चाहिये।

ऋषि पंचमी किस भारतीय माह में मनाई जाती है?

Hindu calendar के अनुसार भाद्रपद (भादो) के महिने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी मनाई जाती है।

ऋषि पंचमी के दिन कौन से 7 ऋषियों की पूजा की जाती है?

ऋषि पंचमी के दिन ऋषि कश्यप, ऋषि अत्रि, ऋषि भारद्वाज, ऋषि विश्वमित्र, ऋषि गौतम, ऋषि जमदग्नि और ऋषि वशिष्ठ की पूजा की जाती है।

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