Vrishchika Sankranti 2023 will fall on November 17, 2023. The Vrishchika sankranti punya kaal will start at 06:45 AM on 17th November 2023 and end by 12:06 PM on 17th November 2023. The punya kaal duration will be for 5 hours and 21 minutes.
हिंदू पंचांग के अनुसार सूरज जब राशि परिवर्तन करता है, तो सूर्य के राशि परिवर्तन को वृश्चिक संक्रांति के नाम से जाना जाता है। सूरज का यह परिवर्तन सारी राशियों को प्रभावित करता है, लेकिन सूर्य का वृश्चिक राशि पर प्रभाव विशेष रूप से रहता है। वृश्चिक राशि के लिए सूर्य का यह गोचर कई मामलों में शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस परिवर्तन से वृश्चिक राशि के जातकों को व्यापार और नौकरी में लाभ प्राप्त होता है।
Vrishchika Sankranti 2023 Tithi
Sankranti | Vrishchika Sankranti 2023 |
Vrishchika Sankranti 2023 Date | 17th November 2023 |
Day | Friday |
वृश्चिक संक्रांति का महत्व (Vrishchika Sankranti 2023 Importance)
वृश्चिक संक्रांति के दिन को शास्त्रों में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्यूंकि यह दिन वित्त कर्मचारियों, छात्रों और शिक्षकों के लिए बेहद शुभ माना जाता है। वृश्चिक संक्रांति के दिन विशेष पूजा और उपाय से धन से जुड़ी बहुत सारी समस्याओं का हल किया जा सकता है।
वृश्चिक संक्रांति पर स्नान दान का महत्व
वृश्चिक संक्रांति के दिन धर्म, कर्म और दान पुण्य के काम को विशेष महत्व दिया जाता है। इसलिए वृश्चिक संक्रांति के दिन खाने पीने की वस्तुएं और कपड़े दान करने का विशेष महत्व माना जाता है। वृश्चिक संक्रांति के दिन संक्रमण स्नान, विष्णु और दान का खास महत्व माना जाता है। इस दिन श्राद्ध और पित्र तर्पण का विशेष रूप से महत्व माना जाता है। वृश्चिक संक्रांति के दिन 16 घड़ियां को बहुत शुभ माना जाता है। इस दौरान दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति की जा सकती है। यह दान Sankranti काल में करना बेहद शुभ माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार वृश्चिक संक्रांति में ब्राह्मण को गाय दान करने का विशेष महत्व माना जाता है।
वृश्चिक संक्रांति कब और क्यों मनाई जाती है?
वृश्चिक संक्रांति को हिंदू धर्म में पवित्र दिनों में से एक माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में मौजूद 12 राशियों में सूर्य के प्रवेश को संक्रांति कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार साल में कुल 12 संक्रांति होती है। जब सूरज मकर राशि मैं प्रवेश करता है, तो उस दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है। वैसे ही जब सूरज वृश्चिक राशि में प्रवेश करता है, तो वृश्चिक संक्रांति मनाई जाती है।
वृश्चिक संक्रांति की पूजा विधि (Vrishchika Sankranti 2023 Puja Vidhi)
- वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले दान किया जाता है।
- स्नान करने के बाद सूर्य देव की पूजा की जाती है।
- तांबे के लोटे में पानी डालकर उसमें लाल चंदन मिलाकर सूर्य को जल चढ़ाया जाता है।
- इसके साथ ही रोली, हल्दी और सिंदूर मिश्रित जल से सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
- इस दिन सूर्य को गुग्गल की धूप की जाती है।
- वृश्चिक संक्रांति गुड़ से बने हलवे का भोग लगाया जाता है।
- इस दिन लाल चंदन की माला से ओम दिनकराय नमः मंत्र का जाप किया जाता है।
वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्य का फल
वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्य का गोचर कई राशियों के लिए शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस परिवर्तन से वृश्चिक राशि के जातकों हो व्यापार और नौकरी में लाभ प्राप्त हो सकता है। इस दिन रुके हुए कार्य सकते हैं और साथ में मान सम्मान में वृद्धि होती है। ज्योतिष दृष्टि से यह गोचर विशेष रूप से लाभकारी होता है। इस दिन वृश्चिक राशि के जातकों के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। वृश्चिक संक्रांति के दिन समाज में व्यक्ति का मान सम्मान बढ़ता है। इस दिन किसी भी तरह का घमंड नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से नुकसान उठाना पड़ सकता है। वृश्चिक संक्रांति के दिन वाणी में मधुरता रखनी चाहिए।
वृश्चिक संक्रांति के भाग्योदय के उपाय
- वृश्चिक संक्रांति के दिन भाग्य उदय के लिए भगवान शिव जी की उपासना की जाती है।
- इस दिन ॐ सो सोमाय नमः मंत्र का जाप करने से नागिन भेजें वृद्धि होती है।
- वृश्चिक संक्रांति के दिन जातकों को भाग्य उदय के लिए मोती ,सोना, चांदी, वंश पात्र, चावल, मिश्री, सफेद कपड़ा, शंख, कपूर, सफेद बैल, सफेद गाय, दूध, दही, चंदन, निर्मल जल, सफेद सीपी, सफेद मोती, एक जोड़ा जनेऊ, दक्षिणा के साथ दान करना चाहिए।
- भाग्य उदय तेज करने के लिए चांदी के गिलास में जल पीना चाहिए।
- वृश्चिक राशि के जातकों को भगवान शिव की उपासना करनी चाहिए और ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए।
- कनिष्ठा या छोटी उंगली में मोती रत्न धारण करने से भाग्य उदय करने में सहायक होता है।
- वृश्चिक राशि के जातक भाग्य उदय के लिए सोमवार या जातक जन्म नक्षत्र वाले दिन पीपल के वृक्ष की चार परिक्रमा लगाएं और सफेद फूल अर्पण करना चाहिए।
- पीपल के पेड़ की कुछ सूखी डालियों तो स्नान के पानी में उस समय रखकर फिर उस जल से स्नान करना चाहिए, ऐसा करने से जातकों को भाग्यउदय के लिए सहायता मिलती है।
- पीपल के पेड़ के नीचे हर सोमवार कपूर मिलाकर घी का दीपक लगाना चाहिए, इससे भाग्योदय होता है।
- वृश्चिक संक्रांति के दिन जातकों को सोमवार का व्रत करना चाहिए।
- वृश्चिक संक्रांति पर वृश्चिक राशि के जातकों को भाग्य उन्नति के लिए माता पिता के चरण छू कर आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए और उनकी देखभाल करनी चाहिए।
- पीपल का एक पत्ता सोमवार और एक पत्ता जातक के जन्म नक्षत्र वाले दिन पीपल का पत्ता तोड़ कर उसे कार्यस्थल पर रखने से सफलता प्राप्त होती है और धन लाभ के नए मार्ग खुलते हैं।
वृश्चिक संक्रांति तिथि (Vrishchika Sankranti 2023 Date)
वृश्चिक संक्रांति 17 नवंबर, 2023 को शुक्रवार के दिन होगी।
वृश्चिक संक्रांति तिथि 17 नवंबर, 2023 को 06:45 मिनट पर शुरू होगी।
वृश्चिक संक्रांति तिथि 17 नवंबर, 2023 को 12:06 मिनट पर खत्म होगी।
Frequently Asked Questions
Vrishchika Sankranti falls in the month of November.
This year, Vrishchika Sankranti falls on 17th November 2023.
It will start at 06:45 AM on 17th November 2023.