Ashadha Amavasya 2023: हर महीने Shukla और Krishna Paksha में Amavasya और Purnima होती है। शुक्ल पक्ष में चंद्रमा का आकार बढ़ता है जबकि कृष्ण पक्ष में चंद्रमा का आकार धीरे-धीरे घटता है। पूर्णिमा को चंद्रमा का आकार पूर्ण और चमकदार दिखाई देता है।
जबकि अमावस्या पर चांद आकाश में दिखाई नहीं देता। Amavasya को शास्त्र के अनुसार शुभ नहीं माना जाता, क्योंकि इसके अशुभ परिणाम सामने आते हैं, जिसका असर सब पर पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूरज और चंद्रमा एक ही राशि में आ जाते हैं, तो उस दिन को अमावस्या होती है।
आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को स्नान दान अमावस्या भी कहा जाता है।
Ashadha Amavasya 2023 Date
Amavasya Name | Ashadha Amavasya (आषाढ़ अमावस्या) |
Date | 17th June 2023 |
Day | Saturday |
Ashad kab lagega 2023? | 5 June 2023 |
Ashadha Amavasya Importance (आषाढ़ अमावस्या की महत्वता)
हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ का महीना हिंदू वर्ष का चौथा महीना होता है। इस महीने के खत्म होने के बाद वर्षा ऋतु शुरू हो जाती है। आषाढ़ अमावस्या के दिन दान पुण्य किया जाता है।
पितरों की आत्मा की शांति के लिए धार्मिक कार्य किए जाते हैं। इस दिन पवित्र नदी में और तीर्थ स्थल पर स्नान करने से कई गुना फल मिलता है।
आषाढ़ अमावस्या पर स्नान की महत्वता
आषाढ़ अमावस्या के दिन स्नान और दान का विशेष महत्व होता है। आषाढ़ अमावस्या का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण दिन होता है क्योंकि कई धार्मिक कार्य किए जाते हैं। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है।
इस दिन पितरों का तर्पण किया जाता है। आषाढ़ अमावस्या के दिन श्राद्ध कर्म, दान पुण्य करने का विधान बताया जाता है।
जिन लोगों को राहु केतु के कारण बनने वाले पित्र दोष के कारण व्यक्ति को मानसिक तनाव रहता है और साथ ही कामों में बाधा आती है, इसलिए आषाढ़ अमावस्या के दिन की जाने वाली पूजा से पितरों को प्रसन्न किया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
आषाढ़ अमावस्या की व्रत विधि (Ashadha Amavasya Vrat Vidhi)
- आषाढ़ अमावस्या के दिन हिंदू अपने घर की साफ सफाई करते हैं। आषाढ़ अमावस्या की पूजा को किसी के निर्णय के लिएइष्ट देवता के प्रति प्रतिबंध किया जाता है।
- आषाढ़ अमावस्या के दिन हिंदुओं द्वारा दीप पूजा का रिवाज माना जाता है। यह विशेष पूजा पंचमहाभूत के हिंदू पिता को समर्पित है। इसमें वायु, अग्नि, जल, आकाश और पृथ्वी को प्रमुख पांच घटक माना जाता है।
- इस दिन ध्यान देना चाहिए के तालिकाका चौरंग दीप पूजा के रिवाज के हिस्से के रूप में उपयोग किया जाना चाहिए।
- इस तालिका को अच्छी तरह से साफ करके इसकी सतह पर रंगोली का आयोजन के साथ समृद्ध किया जाता है।
- सभीदियो को मेज पर एक वैध तरीके से रखा जाता है और पूजा के लिए लाइन में लगाते हुए जलाया जाता है।
- आषाढ़ अमावस्या की रात को घर के चारों और और दीये रखे जाते हैं।
- आषाढ़ अमावस्या के दिन देवी सरस्वती, देवी पार्वती या देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
आषाढ़ अमावस्या की कथा (Ashadha Amavasya Vrat Katha)
आषाढ़ अमावस्या के दिन व्रत करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। यह व्रत इस लोक में सुख और परलोक में मुक्ति देने वाला है। आषाढ़ अमावस्या से संबंधित कथा का वर्णन निम्नलिखित प्रकार है:
स्वर्ग धाम के अलकापुरी नामक नगरी में एक कुबेर नाम का राजा रहता था। बहुत बड़ा शिव भक्त था। वह हर रोज शिवजी की पूजा किया करता था। राजा के यहां हेम नाम का एक माली हर रोज पूजन के लिए फूल लाया करता था। हेम माली की एक सुंदर पत्नी थी। जिसका नाम विशालाक्षी था।
क दिन माली मानसरोवर से फूल ले तो आया, परंतु अपनी पत्नी के साथ हास्य विनोद करने लगा। राजा दोपहर तक माली की राह देखता रहा। राजा कुबेर ने अपने सेवकों को आज्ञा दी कि माली के ना आने का कारण पता करो क्योंकि वह अभी तक फूल लेकर नहीं आया है। सैनिकों ने कहा कि महाराज के माली बहुत पापी अतिकामी है।
वह अपनी स्त्री के साथ हास्य विनोद कर रहा है। यह सुनकर राजा को माली पर बहुत गुस्सा आया और राजा ने उस माली को बुलवाया। हेम माली राजा के सामने डर से कांपता हुआ उपस्थित हुआ।
राजा कुबेर ने गुस्से में आकर माली को डांटते हुए कहा कि उसने परम पूजनीय ईश्वर शिव जी महाराज का अनादर किया है। इसलिए वह स्त्री का वियोग सहेगा और मृत्यु लोग में जाकर कोहड़ी हो जाएगा।
राजा कुबेर के श्राप देने से हेम माली का स्वर्ग से पतन हो गया। वह उसी क्षण पृथ्वी पर जा गिरा। पृथ्वी पर आते ही उसके शरीर पर कोहड हो गया। हेम माली की स्त्री उसी समय अंतर्ध्यान हो गई। पृथ्वी पर आकर माली ने बहुत दुख झेले। वह बिना भोजन और जल के जंगल में भटकता रहा।
हेम माली को रात में नींद भी नहीं आती थी, लेकिन शिवजी की पूजा करने के प्रभाव से उसे अपने पिछले जन्म की समृति का ज्ञान हो गया। एक दिन घूमते घूमते माली मार्कंडेय ऋषि के आश्रम में पहुंच जाता है। उसने देखा कि वह ऋषि ब्रह्मा से भी अधिक वृद्ध थे और आश्रम ब्रह्मा के सभा के समान लगता था।
हेम माली वहां जाकर ऋषि के पैरों पर गिर गया। इसे देखकर ऋषि जी ने पूछा कि उसने ऐसा कौन सा पाप किया है। जिसके प्रभाव से उसकी यह हालत हो गई है। हेम माली ने ऋषि को सारा हाल बताया ऋषि जी ने कहा कि उसे एक व्रत करना होगा, जिससे उसका उद्धार होगा।
ऋषि जी ने कहा आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी का व्रत विधि पूर्वक करेगा, तो उसके सारे पाप नष्ट हो जाएंगे। यह सुनकर माली बहुत खुश हुआ। उसने ऋषि जी को प्रणाम किया। इसके बाद हेम माली ने विधिपूर्वक व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से माली अपने पुराने रूप में आकर अपनी पत्नी के साथ सुखी सुखी रहने लगा। इस व्रत को करने से सारे पाप दूर हो जाते हैं ।
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आषाढ़ अमावस्या के दिन किए जाने वाले उपाय एवं पूजा विधि
- आषाढ़ अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी पर स्नानकिया जाता है।
- स्नान करने के बाद सूर्य देवता को जल अर्पित किया जाता है।
- आषाढ़ अमावस्या के दिन पूर्वजों का पिंडदान किया जाता। है, ऐसा करने से पूर्वजों को शांति और मोक्ष प्राप्त होता है।
- आषाढ़ अमावस्या के दिन यदि कोई बच्चा पैदा होता है तो शांति पाठ कराया जाता है ।
आषाढ़ अमावस्या के दिन ध्यान रखने वाली बातें
- आषाढ़अमावस्या के दिन खेतों में हल नहीं चलाना और खेत जोतना नहीं चाहिए।
- आषाढ़ अमावस्या के दिन क्रय विक्रय और शुभ कामों को नहीं करना चाहिए।
- इस दिन मांस और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
- आषाढ़ अमावस्या के दिन घर में किसी प्रकार के गंदगी नहीं होनी चाहिए।
आषाढ़ अमावस्या तिथि (Ashadha Amavasya 2023 Date)
आषाढ़ अमावस्या तिथि 17 जून, 2023 को Saturday को होगी।
Frequently Asked Questions
5 June 2023 से लग रहा है।
On 17th June 2023
Ashadha amavasya will be observed on 17th of June.