Ashadha Purnima 2024: Guru Purnima Date, Puja Time and Significance

Ashadha Purnima 2024, also known as Guru Purnima will be observed on July 21, 2024, Sunday.

आषाढ़ पूर्णिमा को Guru purnima के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार आषाढ़ महीने की पूर्णिमा पर भगवान विष्णु का वास जल में होता है। इस दिन किए गए दान और उपवास से फल मिलता है। इस पूर्णिमा पर भगवान शिव और पार्वती की पूजा भी की जाती है। यह पूर्णिमा गुरु के प्रति सम्मान और कृतज्ञता को दर्शाता है।

पूर्णिमा के दिन भगवान Satyanarayan Puja होता है और कथा को पढ़ा और सुना जाता है। इस कथा, पूजन द्वारा ही पूर्णिमा का व्रत संपूर्ण माना जाता है। आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन श्रीहरि का पूजन होता है। इसलिए श्री विष्णु जी का अनेक नामों से स्मरण किया जाता है और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी किया जाता है। यह माना जाता है कि लगभग 2500 साल पहले इसी दिन भगवान बुद्ध ने सारनाथ में अपने पहले उपदेश का प्रचार किया था।

Ashadha Purnima 2024 Overview

PurnimaAshadha Purnima or Guru Purnima
DateJuly 21, 2024
DaySunday

Importance of Ashadha Purnima

आषाढ़ महीने की Purnima पर तीर्थ स्नान, दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। इस महीने की पूर्णिमा पर भगवान शिव पार्वती की पूजा के साथ कोकिला व्रत किया जाता है। इस व्रत के प्रभाव दांपत्य सुख मिलता है और अविवाहित कन्याओं को अच्छा वर मिलता है। इस दिन महर्षि वेद व्यास की जयंती मनाई जाती है।

इसलिए गुरु पूजा की परंपरा होने से गुरु पूर्णिमा पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि आषाढ़ माह की पूर्णिमा को चंद्रमा पूर्वषाढ़ा या उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में होता है। यदि आषाढ़ मास में पूर्णिमा के दिन को चंद्रमा उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में रहे तो वह पुण्य में बहुत ही सौभाग्यशाली और पुण्य फलदाई मानी जाती है।

ऐसे संयोग में दस विश्वदेवों की पूजा करने का विधान भी है। आषाढ़ के दुसरे दिन से ही सावन शुरू हो जाता है, इसलिए भी आषाढ़ का बहुत महत्व है।

आषाढ़ पूर्णिमा और गोपद्म व्रत विधि

हिंदुओं के विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में कई पर्व त्यौहार और व्रत पर विशेष पूजा करने के विधान है। शास्त्र अनुसार Ashadha Purnima पर रखे जाने वाले गोपद्म व्रत की विशेष विधि है। गोपद्म व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। यह व्रत सभी प्रकार के सुख प्रदान करने वाला होता है। ऐसा माना जाता है कि यदि कोई श्रद्धा के साथ गोपद्म व्रत रखता है और सभी अनुष्ठानों का सही ढंग से पालन करते हैं तो वह भगवान विष्णु का आशीर्वाद; सभी सांसारिक सुखों को भी प्राप्त करते हैं। साथ ही गोपद्म व्रत का पालन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और जीवन के अंत में उन्हें मोक्ष का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

उत्तराषाढ़ा या पूर्वाषाढ़ा के अंतर्गत जन्म लेने वाले लोगों को आषाढ़ पूर्णिमा पर दान या ध्यान करना चाहिए। ऐसा करने से उन्हें अपने जीवन के हर पहलू में बहुत लाभ और समाधान हासिल करने में मदद  मिलती है।

  •  इस दिन प्रातः काल उठकर स्नानादि के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं।
  • व्रत के पूरे दिन भगवान श्री विष्णु में ध्यान लगाया जाता है। उनके चतुर्भुज रूप का स्मरण किया जाता है, जिसमें वे गुरुड़ पर सवार होते हैं और संग में माता लक्ष्मी का भी ध्यान किया जाता है।
  • धूप, दीप, पुष्प, गंध आदि से विधि अनुसार पूजा की जाती है। भगवान श्री हरि के पूजन के बाद विद्वान ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को भोजन करवा कर सामर्थ्य अनुसार दान दक्षिणा दी जाती है।
  •  मान्यता है कि यदि पूरी श्रद्धा के साथ इस व्रत का पालन किया जाए, तो इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और व्रती की मनोकामना को पूरा करते हैं। संसार में रहते सारे भौतिक सुखों का आनंद लेकर और अंत काल में व्रती को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

आषाढ़ मास की पूर्णिमा गुरु पूर्णिमा

आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन गुरु का पूजन भी किया जाता है। जो व्यक्ति जिस गुरु को मानता है उसे  उस गुरु के प्रति इस दिन सम्मान का भाव अवश्य प्रकट करना चाहिए। जिस प्रकार अकाश बादलों से घिर जाता है तो उस अंधकार को दूर करने के लिए सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार जीवन के अंधकार को दूर करने के लिए किसी गुरु का होना बहुत आवश्यक होता है। भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान बहुत श्रेष्ठ रहा है।

ईश्वर से भी आगे उस गुरु को ही स्थान प्राप्त होता है। गुरु के ज्ञान और उनके स्नेह के प्रति आभार प्रकट करने के लिए पूजा का विधान है। जीवन में गुरु का स्वरूप किसी भी रूप में प्राप्त हो सकता है। गुरु के पास पहुंचकर ही व्यक्ति को  शांति, भक्ति और शक्ति प्राप्त होती है।

आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा भी कहा जाता है इसलिए इस दिन गुरु की आराधना की जाती है। पुराने समय में गुरु अपने शिष्यों को निशुल्क विद्या एवं ज्ञान देते थे इसीलिए उस समय गुरु का शुकराना करने के लिए इस दिन गुरु की पूजा शिष्यों द्वारा की जाती थी। गुरु पूर्णिमा  मनाने के पीछे यह कारण है कि इस दिन महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। वेद व्यास को कृष्ण द्वैपायन के नाम से भी जानते हैं। महर्षि वेद व्यास ने चारों वेदों और महाभारत की रचना की थी। हिंदू धर्म में वेद व्यास को भगवान के रूप में पूजा जाता है। इस दिन वेद व्यास का जन्म होने के कारण इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। आषाढ़ पूर्णिमा के दिन सभी लोग वेदव्यास की भक्ति भाव से आराधना और अपने मंगलमय जीवन की कामना करते हैं। इस दिन प्रसाद के रूप में हलवा वितरित किया जाता है।

इस दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं। कोई इस दिन ब्रह्मा की पूजा करता है तो कोई अपने दीक्षा गुरु की। इस दिन को मंदिरों, आश्रमों और गुरु की समाधियों पर धूमधाम से मनाया जाता है। भारत में पूर्व से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक सभी जगह गुरुमय हो जाती है।

Ashadha Purnima 2024 Date

आषाढ़ पूर्णिमा का व्रत July 21, 2024, Sunday को रखा जाएगा।

आषाढ़ पूर्णिमा तिथि 20 जुलाई, 2024 को evening 5:59 बजे शुरू होगी।

आषाढ़ पूर्णिमा तिथि 21 जुलाई, 2024 को evening 3:46PM खत्म होगी।

Frequently Asked Questions

What is the date of Ashadha purnima 2024?

Ashadha purnima 2024 will be celebrated on 21st July 2024.

When will Guru purnima tithi start?

It will start at 5:59PM on 20th July 2024.

When will Ashadha purnima tithi end?

It will end at 3:46PM on 21st July 2024.

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